दुनिया के बाज़ार से आओ हम भी कुछ सामान खरीदें
सुनी सी आँखों की खातिर सपने और सामान सपने अरमान खरीदें
खुद गिर कर औरों को सम्भालें , नेकी कर दरिया में डालें
सागर मथ कर ज़हर निकालें, सेवा दें अपमान खरीदें
घुटने सरकश लहू चाशनी , दिल दिमाग काबू से बाहर
मिले तो इस बूढी काया की खातिर अब कुछ जान खरीदें
फ़रसूदा ख़्वाबों की लाशें अब तो सड़ने गलने लगी है
अब तो इनके लिए कफ़न और थोडा सा लोबान खरीदें
धुंधली धुंधली प्रेम डगर है , दिल में तड़प कुछ कम है ,मगर है
तुम पे भरोसा ज़ादे सफ़र है, और अब की सामान खरीदें
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सरकश =ज़ालिम ;लहू चाशनी =वैसे मुझे अभी डाइबीटीज नहीं हुई है
बोर्डरलाइन केस हूँ
जादेसफर = सफर का सामान
फरसुदा = पुराने
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अखतर किदवाई
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मेरे नए ब्लॉग पर आप सब का स्वागत है !
जवाब देंहटाएंसागर मथ कर ज़हर निकालें, सेवा दें अपमान खरीदें.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति l
सागर मथ कर ज़हर निकालें, सेवा दें अपमान खरीदें.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुतिl हार्दिक बधाई ...